नयी दिल्ली:लोकसभा में शुक्रवार को नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र संशोधन विधेयक, 2022 पेश किया गया जिसके माध्यम से देश में संस्थानिक मध्यस्थता के लिये एक स्वतंत्र और स्वायत्त व्यवस्था सृजित करने का प्रस्ताव किया गया है।

निचले सदन में विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र संशोधन विधेयक, 2022 पेश किया।

इस विधेयक के माध्यम से नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र अधिनियम 2019 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र अधिनियम 2019 के माध्यम से नयी दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र स्थापित करने का उपबंध किया गया है। इसके तहत देश में संस्थानिक मध्यस्थता के लिये एक स्वतंत्र और स्वायत्त व्यवस्था सृजित करने का प्रस्ताव किया गया है।

अधिनियम की धारा 4 की उपधारा (1) नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र को राष्ट्रीय महत्व की एक संस्था घोषित करती है।

फिर भी, यह अनुभव किया गया है कि केंद्र एक राष्ट्रीय महत्व की संस्था होने के बाद भी नगर केंद्रित होने का आभास देता है जबकि यह भारत को संस्थानिक मध्यस्थता एवं अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता केंद्र के रूप में स्थापित करने की महत्वाकांक्षा को प्रतिबिंबित करने वाला होना चाहिए।

ऐसे में केंद्र के नाम को नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र से भारत अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम में परिवर्तन करना अनिवार्य समझा गया है जिससे इसकी पहचान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान की हो और यह अपने वास्तविक उद्देश्यों को प्रतिबिंबित करे ।