भाई-बहन का त्यौहार - रक्षाबंधन

ज्योति शर्मा

रक्षाबंधन हिन्दुओं का महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व श्रावण शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व सम्पूर्ण भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। रक्षाबंधन क्यों और कब से मनाया जाता है? इसके बारे में कहना कुछ कठिन होगा। इस दिन बहनें अपने भाईयों के मस्तक पर तिलक करके, उन्हें मिठाई खिलाकर उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हंै व उनके लम्बी उम्र की व स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं और भाइयों से अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। भाई बहनों को इच्छानुसार भेंट देते हैं।

पुराणों व ग्रंथों में रक्षाबंधन को लेकर अलग-अलग कथाओं का उल्लेख मिलता है। एक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के वामन अवतार के समय राजा बलि को माता लक्ष्मीजी के द्वारा रक्षासूत्र बांधा गया। आज भी रक्षाबंधन के समय जो मंत्र बोला जाता है उसमें राजा बलि का जिक्र होता है।

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वामनुबध्रामि रक्षे मा मा चल।।

अर्थात् दानवों के महाबलशाली राजा बलि जिससे बंध गए थे, उससे तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षासूत्र तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।

एक पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक बार कई वर्षों तक लगातार देवता व असुरों में संग्राम होता रहा, जिसमें देवताओं की पराजय हुईं और असुरों ने स्वर्ग पर आधिपत्य कर लिया। पराजित व चिन्तित होकर इन्द्र देव देवगुरु बृहस्पति के पास गए और उनसे कहने लगे कि इस समय न तो मैं यहां सुरक्षित हूं और न ही यहां से निकल सकता हूं। अतः पराजित होने के बावजूद मुझे युद्ध करना ही पड़ेगा। इन्द्र व गुरु बृहस्पति के वार्तालाप को इन्द्राणी सुन रही थीं। अगले दिन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा थी। उन्होंने विधि पूर्वक रक्षा सूत्र तैयार किया और इन्द्र को देकर उसे स्वस्ति वाचन पूर्वक ब्राह्मणों से बंधवाकर युद्ध में जाने के लिये कहा। अगले दिन इन्द्र ने रक्षाबंधन और स्वस्ति वाचन पूर्वक रक्षाबंधन कराया, जिसके प्रभाव से उनकी विजय हुई।

 इसी प्रकार मुगल काल में मुगल बादशाह हुमायूँ के पास चित्तौड़ की रानी कर्मवती ने अपनी रक्षा के लिए रक्षा सूत्र भेजा था। हुमायूँ ने राखी स्वीकार कर आवश्यकता पड़ने पर विरोधी दल से युद्ध करके रानी के सम्मान की रक्षा की थी। यद्यपि  हुमायूँ समय पर नहीं पहुंच पाया था। 

रक्षाबंधन का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। एक बार भगवान श्रीकृृष्ण के हाथ में चोट लगने के कारण रक्त बहने लगा। रक्त बहता देख द्रोपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में बांध दिया, जिससे रक्त रूक गया। जब दुशासन ने भरी सभा में द्रोपदी का चीर हरण किया तब श्रीकृष्ण ने द्रोपदी का चीर बढ़ाकर उनके सम्मान की रक्षा की।

यह पौराणिक घटना हमारे समाज में महिलाओं की प्रतिष्ठा और उनके विशिष्ट स्थान को भी उजागर करती है। शास्त्रों में भी महिलाओं को शक्ति व प्ररेणा का स्वरूप बताया गया है।

रक्षाबंधन का त्यौहार मुख्य रूप से भाई-बहनों का त्यौहार माना गया है। रक्षाबंधन में मूलतः दो भावनाएं काम करती हैं। प्रथम- जिस व्यक्ति को रक्षासूत्र बांधते हैं उसके कल्याण की कामना करते रहना और द्वितीय - रक्षा का सूत्र जो उसके प्रति रक्षा की भावना व स्नेह रखना। इस प्रकार रक्षाबंधन वास्तव में स्नेह, अपनत्व, शांति और रक्षा बंधन है।

इस दिन भद्रा का त्याग करके शुभ मुहूर्त में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाना चाहिए। इस वर्ष रक्षाबंधन 22 अगस्त, 2021 को सम्पूर्ण दिन मनाई जाएगी।

रक्षाबंधन एक पवित्र दिन माना गया है। इस दिन सभी पुरुषों को एक वचन लेना चाहिए कि वह सभी स्ति्रयों की रक्षा करें व उनका सम्मान करें। यह केवल एक भाई की जिम्मेदारी नहीं है, अपितु सम्पूर्ण समाज जब तक किसी स्त्री को सम्मान व इज्जत नहीं देगा तब तक समाज में स्ति्रयों के प्रति अपराध होते रहेंगे।

 

इस राखी करें मिठाइयों से परहेज - जाने क्यों?

डॉ. सुमित्रा अग्रवाल

त्यौहारों का समय है, मिठाइयाँ सबका मन मोह लेती हैं। घर की स्त्रियाँ, चाहे वह माताएँ या बहनें सब तीज, बंगाल में विरफुली, राखी, जन्माष्टमी में रंग बिरंगे कपड़े पहन कर पूजा की थाली में नाना प्रकार के पकवान सजाती हैं। गुलाब जामुन, सेवई खीर, बर्फी, पेड़ा, घेवर, चक्की देखकर भला कौन खुद को रोक पाएगा? मित्रता या मैत्री भाव का सम्बन्ध मीठे से है, त भी तो हम अपने प्रियजन से मिलने जाते हैं तो मीठा लेकर जाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा की खाने का स्वाद सिर्फ हमारे जीभ को होता है। खाना नमकीन है या मीठा, मिर्च है या खट्टा इसका अनुभव न हमारा पेट कर पता है, न हमारी आंतें। जो हमारी जीभ को स्वाद देता है वह भोजन हमारी आंतों को इरिटेट करता है। मीठा एक प्रमुख स्वाद है तभी तो दुनिया भर में मिठाइयों की इतनी दुकानें हैं और मिठाइयों का व्यापार इतना विस्तारित है। मीठा खाना अपने आप में कई समस्याओं को निमंत्रण देना है।

भारत डायबिटीज में अभी नंबर 2 पर है। विश्व में पंजाब और चंडीगढ़ डायबिटीज में पूरे भारत में सबसे आगे हैं। विश्व स्तर पर हर 6 डायबिटिक में से 1 डायबिटिक व्यक्ति भारत का है। डायबिटीज के बढ़ने का कारण हमारा लाइफ स्टाइल व हमारा खान-पान और हमारी कल्चरल हैबिट्स है।

हम आँखों के अंदर बने एक परदे की वजह से कुछ भी देख पाने में सक्षम हैं। इस परदे को रेटिना कहते हैं। इस रेटिना में पतली- पतली कोशिकाएँ हैं जो कि डायबिटीज के कारण सबसे ज्यादा नुकसान झेलती हैं। एक उदहारण से बताती हंू, एक ग्लास पानी लीजिये एक चम्मच चीनी घोलकर इसका घनत्व देख लीजिये। अब धीरे- धीरे इस पानी में 5 चम्मच चीनी डाल दीजिये और मिला दीजिये, जब सारी चीनी घुल जाए, तब चम्मच से पानी को उठायें और वापस ग्लास में डालें, पानी का घनत्व बढ़ जायेगा। अब और चीनी डालिये, एक समय के बाद और चीनी घुल नहीं पाएगी और नीचे जमना चालू हो जाएगी। अब इसी बात को शरीर के अंदर समझते हैं। मान लीजिये किसी को डायबिटीज है तो रक्त का घनत्व बढ़ने लगेगा, जब शुगर कंट्रोल नहीं हुआ तब एक समय के बाद ये चीनी रक्त में घुलेगी नहीं और सॉलिड फॉर्म में रह जाएगी। जगह-जगह शुगर जमा होने लगेगा। जिन जगहों पर एक ही ब्लड चैनल है, ब्लड पहुँचने के लिए उन कोशिकाओं में अगर चीनी जम जाए तो आगे ब्लड के जाने का रास्ता बंद हो जाता है। जिन जगहों को एक से ज्यादा कोशिकाएँ ब्लड पहुंचाती है, वहां दिक्कत कम आती है, पर कई जगहों पर सिर्फ एक ही ब्लड सप्लाई है। वह ब्लड सप्लाई रूकने से ब्रेन एक विकल्प खोजता है और ये जरूरी नहीं कि वह विकल्प शरीर के हित में हो।

हमारी आँख के रेटिना में जिससे हम देखते हैं उसमे एक ही ब्लड सप्लाई होती है। अब शुगर डिपाजिट होने से ब्लड आगे नहीं जा पाता तो जिन जगहों पर ब्लड नहीं पहुँचता है, उन जगहों के सेल्स ब्लड के अभाव में मरने लगते हैं। अब ब्रेन इस समस्या के समाधान के लिए वह नए ब्लड सप्लाई की कोशिकाएँ बनाता है। ब्लड हमारी शरीर के लिए माँ हैं वह तुरंत वहां पहुँचने की कोशिश करती हैं जहाँ ब्लड नहीं पहुंच पा रहा था। नई बनी हुई कोशिकाएँ कमजोर होती हैं और गंदा ब्लड जब उन पतली कोशिकाओं से जाने की कोशिश करता है तो ये कोशिकाएँ फट जाती है और आँख के अंदर ब्लड लीकेज होता है। ब्लड पारदर्शी नहीं है, तो जिन जगहों पर यह ब्लड गिरता है उन जगहों से दृष्टि खत्म हो जाती है। इसका अर्थ यह हुआ कि डायबिटीज में आँखों की रौशनी जा सकती है। डायबिटीज या मधुमेह प्रदत्त यह जो समस्या है, इसे हम काफी आगे खिसका सकते हैं, सामान्य तरीकों से।

तीज त्यौहारों के इस मौसम में हम संकल्प करें कि पलभर की खुशी के लिए हम अपने प्रियजन को डायबिटीज या उससे जुड़े अंधेपन की ओर नहीं धकेलेंगे। नियमित रूप से शुगर टेस्ट करायें, डॉक्टर के परामर्श अनुसार दवाएं खाएं, मोर्निंग वॉक करें, हर 2 घंटे में कुछ खायें, अपने वजन को नियंत्रण में रखें, डायबिटीज में शुगर के उतार-चढ़ाव से बार- बार चश्मे का नंबर बदलता है, उससे चेक करायें और उचित चश्मा पहनें। जैसा कि मैंने बताया कि शुगर डिपॉजिट्स होता है तो ब्लड सप्लाई की दिक्कत आती है, यह बात हमारे हाथों की अंगुलियों और पैरों की अंगुलियों पर भी लागू है। पैरों और हाथों की अंगुलियों की जांच रोज करें कि उनमें कोई समस्या तो नहीं हो रही। अंगुलियों के टिप्स को रोज दबायें। ब्लड सकुर्लेशन को ठीक रखने के लिए, पैर के पोरवों को भी रोज मसाज करें व दबायें। मूल उद्देश्य यह करने का है कि ब्लड में शुगर बढ़ने से हृदय पर भी भार पड़ता है, दूर तक ब्लड पहुँचने में कई बार शरीर के आखिरी छोर तक ब्लड सप्लाई में कमी आती है और कई बार शुगर डिपाजिट होने से इन जगह पर सेंसेशन की कमी आ जाती है। इस शुगर को बहार निकलने में भी किडनी पर भी दबाव पड़ता है। डायबिटिक पेशेंट को यह समझना होगा कि उनको भूख ज्यादा लगती है और भूख बर्दाश्त भी नहीं होती है, उन्हें इस भूख लगने को बर्दाश्त करना सीखना होगा। जैसे कि रोज सुबह उन्हें 7 बजे कुछ खाने की तीव्र इच्छा होती है तो उन्हें इसे और 1 घंटा कण्ट्रोल करना शुरु करना होगा, जब वो ऐसा कर पाने में सक्षम होंगे, उनकी पाचन गं्रथि भी सुधरेगी, ऐसा दिन भर में जितने बार उनको भूख लगे उनको करना होगा।  कई बार डायबिटिक पेशेंट फल खाने से घबराता है, यह सोचकर कि उस  में भी मिठास है। फल में फ्रुक्टोज होता है, नार्मल चीनी सुक्रोज है तो फल खा सकते हैं। एप्पल रोज खायें। दिन में एक बार पत्तेदार सब्जियों को हल्का उबाल कर खायें, प्राणायाम रोज करें।  त्यौहारों का आनंद परहेज के साथ मनायें। अब आप अपने स्वयं के साथ दूसरों का भी धयान रखें। आगे से आप प्रियजनों को मिठाइयों के स्थान पर मेवा और फल भेंट करें।