मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि मुद्रास्फीति के करीब सात फीसदी के ‘अस्वीकार्य’ रूप से उच्च स्तर पर रहने से केंद्रीय बैंक को रेपो दर में 0.50 फीसदी की आक्रामक वृद्धि करनी पड़ी है।

दास ने कहा कि छह फीसदी की ऊपरी सीमा को लगातार छह महीनों से पार कर रही मुद्रास्फीति के अब चरम पर पहुंच जाने के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब यहां से नीतिगत कदम ‘‘नपे-तुले, सोचे-समझे एवं फुर्तीले’’ होंगे और ये बदलते हुए हालात पर निर्भर करेंगे।

आरबीआई के भावी कदमों के बारे में कोई भी न इशारा देते हुए दास ने कहा कि हम गतिशील दुनिया में रहते हैं जहां चीजें बहुत तेजी से बदलती हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर दरों में वृद्धि के बारे में बताना दरों में कटौती के बारे में बताने से अधिक मुश्किल होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति लगातार असहज या अस्वीकार्य रूप से ऊंचे स्तर पर बनी हुई है इसलिए यहां मौद्रिक नीति को काम करना पड़ता है।’’ दास ने कहा कि मुद्रास्फीति उच्चतम स्तर को छू चुकी है और अब नीचे आएगी। लेकिन अभी यह अस्वीकार्य रूप से काफी ऊंचे स्तर पर है।

दास ने आगे कहा, ‘‘आर्थिक गतिविधि और मुद्रास्फीति के बदलते परिदृश्य के मद्देनजर मौद्रिक नीति भी नपी-तुली और सक्रिय होगी।’’

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति अनुमानों को काबू में करने के लिए कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि निर्णय लेते वक्त एमपीसी ने वृद्धि के पहलू को भी ध्यान में रखा।

दास ने कहा कि गंभीर दूरगामी प्रभाव वाली दो अप्रत्याशित घटनाओं और कई झटकों के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में स्थिरता का ‘प्रतीक’ बनी हुई है।