पटना/दरभंगा : राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को दावा किया कि बिहार के नए मंत्रिमंडल में कुछ ऐसे भी मंत्री हैं जिनके नाम पर 2015 में “महागठबंधन” को मिली सत्ता के दौरान 'वीटो' कर दिया गया था।

किशोर ने, “दागी मंत्रियों” को लेकर उठे विवाद पर दरभंगा में पत्रकारों के सवाल के जवाब में यह दावा किया। तत्कालीन महागठबंधन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड), लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस शामिल थी तथा किशोर ने करीब से इनके साथ काम किया था।

उन्होंने अधिक जानकारी दिए बिना कहा, “ 2015 में कई ऐसे नाम थे जिन्हें उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण नकार दिया गया था। जिन मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है उनमें तीन को कायदे से स्थापित किया गया है।” किशोर ने 2018 में जदयू का दामन थामा था और एक महीने में ही उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया था। इसके बाद दो साल से भी कम समय में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया।

उन्होंने कहा, “पार्टी में तय किया गया था कि हम संशोधित नागरिकता विधेयक का विरोध करेंगे। लेकिन जदयू के सांसदों ने उसके पक्ष में मतदान किया। नीतीश कुमार ने मुझे बताया कि वह यात्रा पर गए थे इसलिए उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी और उन्होंने बाद में विधानसभा में एनआरसी के विरुद्ध प्रस्ताव पारित कराया। मैं इस अस्पष्टता से असहज हो गया था।”

किशोर ने कहा कि 2012 के बाद से नरेंद्र मोदी के राष्ट्र्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण होने के साथ ही राज्य में आई अस्थिरता के बाद, हाल में हुई राजनीतिक उठापटक राज्य में हुई महज एक और घटना है।

उन्होंने कहा, “नई सरकार को मेरी शुभकामनाएं हैं लेकिन सात दलों का गठबंधन भविष्य में ऐसा ही नहीं रहेगा।”

बिहार पर केंद्रित “जन सुराज” अभियान के तहत राज्य का दौरा कर रहे किशोर ने आज एक 'ऑनलाइन पोल' आयोजित किया जिसमें नीतीश कुमार पर लोगों से राय मांगी गई थी।

किशोर ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक ऑनलाइन सर्वेक्षण शुरू किया, जिसमें उपयोगकर्ताओं से हिंदी में उनके प्रश्न के लिए हां या ना में वोट करने के लिए कहा गया है।

किशोर ने सवाल किया, ‘‘पिछले 10 वर्षों में नीतीश कुमार जी का सरकार बनाने का ये छठवां प्रयोग है। क्या आपको लगता है कि इस बार बिहार और यहां के लोगों का कुछ भला होगा?’’