गुवाहाटी : उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है और उसने विभिन्न प्रगतिशील उपाय किए हैं जिससे असम और क्षेत्र के अन्य राज्यों को प्रगति और विकास के उच्च शिखर पर पहुंचने में मदद मिलेगी।

नायडू प्रख्यात लेखक और विद्वान निरोद कुमार बरूआ, कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के सदस्यों और शिलांग चैंबर क्वायर के सदस्यों को 'राष्ट्रीय एकता और योगदान के लिए लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई पुरस्कार' प्रदान करने के बाद यहां एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने की जरूरत पर ध्यान केंद्रित किया है।

उन्होंने कहा, “पिछले साढ़े सात वर्षों में की गई पहल से पता चलता है कि विकास, शांति और समृद्धि केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।”

उपराष्ट्रपति सचिवालय की ओर से जारी बयान में नायडू ने दशकों पुराने संकट को समाप्त करने के लिए ऐतिहासिक कार्बी आंगलोंग समझौते का उदाहरण दिया जिससे असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित होती है।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि असम पूर्वोत्तर में विकास का एक शानदार उदाहरण होगा। नायडू ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में हवाई संपर्क में सुधार के लिए केंद्र सरकार की कोशिश का भी जिक्र किया।

स्वतंत्रता सेनानी और असम के पहले मुख्यमंत्री 'लोकप्रिय' गोपीनाथ बारदोलोई को श्रद्धांजलि देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक थे।

उन्होंने कहा कि बारदोलोई एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने विभाजन के फसादी समय में भारत की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा में अद्वितीय योगदान दिया और इसका विशेष उल्लेख होना चाहिए।

स्वतंत्र भारत में असम के पहले मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने प्रगतिशील औद्योगिक नीतियों को लागू किया और उन्हें गुवाहाटी विश्वविद्यालय सहित कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना का श्रेय दिया जाता है।

पुरस्कार से नवाज़े गए लोगों को बधाई देते हुए नायडू ने कहा कि निरोद कुमार बरूआ जर्मनी से आए हैं। इस उपलब्धि के लिए शिलांग चैंबर क्वायर के सदस्यों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि यह संगीत और संस्कृति के माध्यम से राष्ट्रीय एकता के लिए उनके योगदान को मान्यता देता है।

उन्होंने कहा, “संगीत और संस्कृति राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दे सकते हैं, खासकर जब विभाजनकारी ताकतें देश को कमजोर करने की कोशिश कर रही हों। समय की मांग है कि शांति को बढ़ावा दिया जाए और देश को मजबूत और समृद्ध बनाया जाए।”

इस मौके पर असम के राज्यपाल जगदीश मुखी, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।