अगरतला : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने त्रिपुरा के इतिहास और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की सराहना करते हुए मंगलवार को कहा कि पूर्वोत्तर राज्य भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के स्तंभ हैं।

उपराष्ट्रपति का पद संभालने के बाद त्रिपुरा के अपने पहले दौरे को 'यादगार' बताते हुए धनखड़ ने कहा कि लोगों द्वारा दिखाई गई गर्मजोशी और स्नेह से वह अभिभूत हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘त्रिपुरा और अन्य पूर्वोत्तर राज्य भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के स्तंभ हैं।’’

इस नीति का उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने और भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रणनीतिक संबंध विकसित करने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक विकास को मजबूत करना है।

‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ में वाणिज्य, सम्पर्क, क्षमता निर्माण और संस्कृति शामिल हैं।

उपराष्ट्रपति ने त्रिपुरा के अपने एक दिवसीय दौरे के दौरान, यहां ‘‘त्रिपुरा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत’’ पर एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और महाराजा बीर बिक्रम कॉलेज में ‘‘त्रिपुरा में शैक्षिक विकास के नए क्षितिज’’ पर एक संगोष्ठी की अध्यक्षता की।

धनखड़ ने इस अवसर पर, नयी शिक्षा नीति -2020 के कार्यान्वयन की दिशा में उठाए गए कदमों सहित शिक्षा के क्षेत्र में राज्य की कई उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे शिक्षा क्षेत्र में बदलाव और भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने के उद्देश्य से एक सुविचारित नीति है।’’

उपराष्ट्रपति त्रिपुरा का अपना दौरा पूरा करने के बाद, अगरतला हवाई अड्डे से कोलकाता के लिए रवाना हुए। हवाई अड्डे पर राज्य के राज्यपाल, मुख्यमंत्री माणिक साहा और अन्य गणमान्य लोगों ने उन्हें विदा किया।

इससे पहले दिन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ त्रिपुरा के गोमती जिले के उदयपुर स्थित 700 साल पुराने त्रिपुरेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना की। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।

उपराष्ट्रपति अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ राज्य की राजधानी अगरतला से वायुसेना के हेलीकॉप्टर में उदयपुर गए और मंदिर में देवी त्रिपुरेश्वरी के दर्शन किए। इस मंदिर की स्थापना 1501 में महाराजा धन्य माणिक्य द्वारा की गई थी।

उपराष्ट्रपति ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह जानकर खुशी हो रही है कि पूरे देश में, जहां भी धार्मिक स्थल हैं, एक नया सुयोग्य, सुविचारित रूप प्रदान किया जा रहा है।’’

धनखड़ ने कहा कि यह "अद्वितीय" त्रिपुरेश्वरी मंदिर भी विकसित किया जा रहा है और वह फिर यहां वापस आने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने मां त्रिपुरेश्वरी मंदिर में 30 मिनट से अधिक समय बिताया, जिन्हें त्रिपुरा सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में किसी भी धर्म के लोग पूजा कर सकते हैं।

राज्य सरकार द्वारा संचालित मंदिर की वेबसाइट के अनुसार, 18वीं शताब्दी के मध्य में समसेर गाजी ने उदयपुर पर आक्रमण करके उस पर अधिकार कर लिया था। इसके अनुसार गाजी की जीवनी में उल्लेख किया गया है कि मुस्लिम शासक ने स्वयं देवी त्रिपुरा सुंदरी की पूजा की थी।