कोच्चि (केरल): केरल उच्च न्यायालय ने 2008 में तिरुवनंतपुरम में माकपा के एक कार्यकर्ता की हत्या के मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 13 कार्यकर्ताओं को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ सबूत पेश करने में नाकाम रहा।

न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति सी. जयचंद्रन की पीठ ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं को दोषी ठहराने के सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी अपील विचार के लिए मंगलवार को मंजूर कर ली।

पीठ ने मंगलवार देर शाम दिए आदेश में कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता साजिश, द्वेष और छल से पनप रही है जो अक्सर नफरत फैलाती है जिसका नतीजा बिना सोचे-समझे रक्तपात के रूप में सामने आ रहा है।

उसने कहा, ‘‘जिस तरीके से अदालत के समक्ष घटनाक्रम पेश किए गए, उससे एक मनगढ़ंत कहानी को परिभाषित करने के लिए गवाहों को सिखा-पढ़ाने तथा सबूत एकत्रित करने की सोची-समझी कोशिश की बू आती है। हम आरोपियों को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से बरी करते हैं, अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ अपराधजन्य परिस्थितियों को साबित करने में नाकाम रहा है।’’

गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2016 को तिरुवनंतपुर में अतिरिक्त सत्र अदालत ने आरएसएस के 13 कार्यकर्ताओं को एक अप्रैल 2008 को माकपा कार्यकर्ता वी वी विष्णु की हत्या के संबंध में उम्रकैद की सजा सुनायी थी।

निचली अदालत ने सभी 13 आरोपियों को माकपा कार्यकर्ता की हत्या का दोषी ठहराया था।